लेखनी कविता -अश्वमेध यज्ञ - अमृता प्रीतम

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अश्वमेध यज्ञ / अमृता प्रीतम एक चैत की पूनम थी कि दूधिया श्वेत मेरे इश्क़ का घोड़ा देश और विदेश में विचरने चला... सारा शरीर सच-सा श्वेत और श्यामकर्ण विरही रंग ...

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